Wednesday, December 8, 2010

काई जमानो आयो है

काई  जमानो आयो है
अबे लुगाया घरवाला को नाम लई ने बात करे
शादी ब्याव बाद में होवे पहला मुलाकात  करे
बिना ब्याव के छोरा छोरी साथ साथ में रेवे है
बेशर्मी का एसा किस्सा टी वी वाला कहवे है
गोदी में कम्पुटर रख के ,कई कई बात बतावे है
तुम जिन से भी बात करो हो,उनको फोटू आवे है
धनी लुगाई, करे नोकरी,खानों होटल से आवे
घी से भरी चूरमा बाटी, नी खावे,मुह बिचकावे
लूखी सूखी रोटी खावे,मीठा से घबरावे है
हाथा मेंमोबाईल लई ने घटो तक बतियावे है
घूमे फिरे उगाडा माथे,पेंट जीन में इतराए
चूल्हों चोको और रसोई,में जावा से घबरावे
तीज त्यौहार याद नी रेवे,तीर्थ बरत की खबर नहीं
रीत रिवाज बड़ा बूढा की,इनके बिलकुल फिकर नहीं
राम राम अब कई बतावा ,कैसो कलजुग छायो है
               कई जमानो आयो है
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