Sunday, January 2, 2011

देखो ये घर टूट न जाये

देखो ये घर टूट न जाये
अपने तुम से रूठ न जाए
क्योकि अगर ये घर टूटेगा
अपनों का ही दिल टूटेगा
धीरे धीरे ,रिसते रिसते
पिघल जायेगे सारे रिश्ते
मुस्काती ,खिलती बगिया की
खुशबू कोई लूट न जाए
देखो ये घर टूट न जाए
पीढ़ी में अंतर होता है
ये समझो तो समझोता है
अगर चाहते बचना गम से
तो रहना होगा संयम से
पनघट पर जाने से पहले,
खुशियों का घट फूट न जाए
देखो ये घर टूट न जाए

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