Tuesday, March 15, 2011

जल

            जल
होता है मानव शरीर में ,सत्तर प्रतिशत से ज्यादा जल
कल कल कर बहती सरिता सा,धीरे धीरे बहता हर पल
कई तरंगें उठती रहती ,जैसे सागर की हो लहरें
लेकिन शांति बनी रहती है ,मन के अन्दर जाकर गहरे
कभी भावना का जलसागर ,शांत सरोवर जैसा रहता
कभी बाढ़ जब आजाती है,तो फिर तोड़ कगारें बहता
लेकिन कुछ बातें होती है,जो की हिला देती अंतर को
तो उठती है लहर सुनामी,तहस नहस करती घर भर को
पूर्ण चन्द्र या चंद्रमुखी को,पास देख मन होता चंचल
होता है मानव शरीर में,सत्तर प्रतिशत से ज्यादा जल
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