Monday, March 28, 2011

ऐसी खूँटी एक चाहिये








ऐसी खूँटी एक चाहिये
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इतने दुःख,इतनी विपदायें
परेशनियाँ,दायें, बायें
सोवूं चैन से,इन्हें टांग कर,
ऐसी खूँटी एक चाहिये
कुछ ऐसी तकदीर मिली है
अपनों से ही पीर मिली है
लेप लगा कर ,दर्द मिटे सब
ऐसी बूंटी एक चाहिये
दह ,जलन,कटुता,बिमारी
हार ,जीत, चिंताएं सारी
जिसको पीकर बिसर जाए सब,
ऐसी घूंटी एक चाहिये
टूटे दिल को जो सहलाये
जीवन में आनंद जगाये
छुई मुई सी ,लाल ,मखमली
वीर बहूटी एक चाहिये





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