Tuesday, April 12, 2011

धूल में लट्ठ

      धूल में लट्ठ
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एक नव विवाहिता से पूछा उसकी सहेली ने
कैसी रही तुम्हारी सुहाग रात?
बतलाओ न सब बात
नव विवाहिता बोली शरमा कर
क्या बतलाऊ तुम्हे डियर
उनकी प्यार भरी बातों ने अमृत घोला
मैंने उनसे बस इतना बोला
मै चाहती हूँ,हमारे बेटा आये
बात सुन कर ये थोड़े मुस्काए
बोले बेटा हो या बेटी,
इसकी नहीं होती है गारंटी
इन बातों को अभी से क्या विचारना
ये तो होता है धूल में लट्ठ मारना
मुझे गुस्सा आ गया ,मुझे कहा धूल
ये थी उनकी भूल
और हम में झगडा हो गया
मै करवट बदल कर इधर सो गयी
वो करवट बदल कर उधर सो गया

मदन मोहन बहेती 'घोटू'



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