Sunday, April 17, 2011

मैं -----

              मैं -----
अपने सुख दुःख चिंताओं का ,सारा बोझ मुझे दे दो तुम
एक दिवस की बात नहीं है ,ये सब रोज़ मुझे दे दो  तुम
सूनेपन में नींद न आये,तो मुझको बाँहों में ले लो
मै चूं तक भी नहीं करूँगा,जैसे चाहो ,वैसे खेलो
ये मेरा कोमल चिकना तन ,तुमको सुख देने खातिर है
जब भी चाहो,इससे खेलो ,हरदम सेवा में हाज़िर है
भूल जाओ वे सब बातें तुम,जिन्हें भुलाना अति मुश्किल है
मुझ पर सर रख कर सो जाओ ,यदि सुख जो करना हासिल है
रोज रात  सोवो मेरे संग ,सर तुम्हारा सहला ऊँगा
सुन्दर सुन्दर सपने देकर ,मन तुम्हारा बहलाऊँगा
मै साक्षी हूँ सूनेपन का,मै साक्षी हूँ मधुर मिलन का
एक मात्र चाहत हूँ मै ही,थके हुए तन ,भारी मन का
रोज रात रहता हूँ तुम संग ,पर न प्रियतमे ,न ही पिया हूँ
तुम्हारे सपनो का साथी ,मै तो तुम्हारा तकिया हूँ

मदन मोहन बहेती 'घोटू'


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