Tuesday, May 17, 2011

मैंने पाया प्यार तुम्हारा-दिलसे है आभार तुम्हारा

मैंने पाया प्यार तुम्हारा-दिलसे है आभार तुम्हारा
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मेरी साँसों के स्वर अब बेचैन हुए है
तुझको पाने आकुल व्याकुल नैन हुए है
तुमने ली मनुहार मान और नज़र झुकाली
मुझको लगता है मैंने नव निधियां पाली
तुमने मेरा प्यार कबूला,ये मन झूला
एक तुम्ही मन में छाई ,सब सुध बुध भूला
हर पल, हर क्षण,दिल में तुम्हारी आहट है
मन में पहले मधुर मिलन की घबराहट है
बसे हुए है,नयनों में बस ,सपन तुम्हारे
गीत मिलन के उमड़ रहे है,मन में सारे
प्रियवर तुम कितनी सुन्दर हो,आकर्षक हो
तुम मनहर हो,मनभावन हो ,मनमोहक हो
चहक तुम्हारी,महक तुम्हारी,दहक तुम्हारी
 कितनी अच्छी,कितनी मादक,कितनी प्यारी
तुम में मधुवन की सुगंध है,तुम में यौवन
आसक्ति,आव्हान,आलिंगन,आल्हादन
तुमसे अपरम्पार प्यार है मेरे मन में
युगों युगों की प्यास  बुझा दी,युगल नयन ने
मै खुशकिस्मत हूँ,जो पाया प्यार तुम्हारा
मेरी प्रियतम ,है दिल से आभार तुम्हारा

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

 

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