Thursday, May 5, 2011

सौन्दर्यानुभूति

 सौन्दर्यानुभूति
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मुझे ,
सूरज से ज्यादा,
मोहित करते हैं,
सूरज को ढकने वाले बादल
जिन में से छन छन कर,
आलोकित होती है,
सूरज की स्वर्णिम आभाHide all
और उससे भी ज्यादा,
आल्हादित करती है
सुन्दर ,सुडोल ,शोढ्सी के,
सुगठित तन पर
अल्पदर्शी वस्त्रों से झांकती हुई  कंचुकी
और कंचुकी की कगारों को तोडती हुई
यौवन की मधुरिम आभा

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

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