Thursday, May 5, 2011

अर्थ का अनर्थ

   अर्थ का अनर्थ
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मैंने जब उनसे पूछा ,जीने की राह बतादो,
वो गए सीडियों तक और ,जीने की रह बता दी
वो लगे बैठ कर सीने,कुछ कपडे नए ,पुराने,
जब मैंने उनको सीने से लगने की चाह  बता दी
मै बोला आग लगी है, तुम दिल की आग बुझा दो
,वो गए दौड़ ले आये,दो चार बाल्टी पानी
देकर सुराही वो बोले,जी चाहे उतना पी लो,
मैंने जब उनको अपनी ,पीने की चाह  बता दी

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

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