Sunday, June 19, 2011

गर्दभ कहे गदही से,

बैशाखनंदन ने,क्रंदन कर ,मन खोला,
                 रेंक गदही से बोला,प्यार मेरा सच्चा है
तू इतनी है प्यारी,चल चले मतवाली,
                 रूप तेरा अच्छा और गान तेरा अच्छा है
मुझे रोज करती तंग,धोबी के बेटे संग,
                 घाट चली  जाती है,दे जाती गच्चा है
गर्दभ कहे गदही से,आँख मूँद,कर जोड़,
                   सच सच बतला दे ना, तेरे मन में क्या है  

मदन मोहन बहेती'घोटू'

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