Friday, June 17, 2011

मैंने कहा पति हूँ मै,,कोई चपरासी नहीं,



दफ्तर में काम काम,घर पर भी ना आराम,
                 बन कर तेरा गुलाम, काम नहीं आऊंगा
चाम के चक्कर में,नाच बहुत नाचा मै,
                  तेरे इशारण पर, नाच नहीं पाऊंगा
इहाँ जाव,उहाँ जाव,साग और सब्जी लाव
                  बच्चो को घुमाय लाव,कहाँ कहाँ जाऊँगा
 मैंने कहा पति हूँ मै,,कोई चपरासी नहीं,
                   मेरा पत राखोगी तो,प्रीत बरसाउंगा
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मक्खन के समोसे से,गाल तुम्हारे चिकने,
                    रसगुल्ले सी प्यारी,आँखें तुम्हारी है
खुर्जा की खुरचन सी,स्वाद भरी संगत है
                    रबड़ी  के लच्छों सी,बातें तुम्हारी है
  जब तू मुस्कावत है,तो मन को भावत है,
                   लेकिन नचावत है मोहे, पड़े भारी है
मैंने कहा पति हूँ मै,,कोई चपरासी नहीं,
                    चोबे हूँ,ओबे (obey )की,आदत हमारी है

  मदन मोहन बहेती 'घोटू'
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