Saturday, June 11, 2011

      चाँद
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झिलमिल सितारों की ओढ़े चुनरिया है,
गोल मोल चमकीला,मुखड़ा ,सुहाना है
औरत सा चंदा भी ,चमके है रातों में,
चाँद सा चेहरा ये,नारी की उपमा है
बदल से  घूंघट को,उठा,गिरा लेता है,
महीने में एक दिन की छुट्टी भी लेता है,
अंग्रेजी भाषा में,इसको 'शी' कहते है
तो फिर क्यों हिंदी में,पुर्लिंग चंदरमा है

मदन मोहन बहेती 'घोटू'

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1 comment:

  1. अद्भुत सुन्दर रचना! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है!

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