Thursday, August 4, 2011

मैंने तुमसे जो भी माँगा,

मैंने तुमसे जो भी माँगा,
तुमने दूना कर दे डाला
अपनेपन से और समर्पण,
से मेरा संसार सवांरा
मैंने माँगा तुसे चुम्बन
तुमने मुझे दिया आलिंगन
मैंने पकड़ी एक बांह थी,
तुमने बाहुपाश दे डाला
मैंने चाहा प्यार मिलन का
तुमने देकर सुख जीवन का
फूल खिला मेरे आँगन को,
तुमने खुशबू से भर डाला
जब से आई परेशानियाँ
आगे बढ़ कर साथ है दिया
बन कर सच्चा जीवनसाथी,
गिरते गिरते मुझे  संभाला
मैंने तुमसे जो भी माँगा,
तुमने दूना  कर दे डाला

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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