Saturday, September 3, 2011

सच्ची तृप्ति

सच्ची तृप्ति
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रोज रोज फ्रीजर में,
रखा पुराना खाना,
माइक्रोवेव ओवन में,
गरम करके खाता हूँ
पर मुझको लगता है,
सिर्फ पेट भरने की,
औपचारिकता निभाता हूँ
वर्ना खाने का जो स्वाद,
माँ के हाथ की पकाई,
गरम गरम रोटियों में,
सरसों के साग की ,
सौंधी सी खुशबू में,
और गन्ने के रस की खीर में आता है,
सच्ची तृप्ति तो वही दिलाता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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