Monday, January 27, 2014

श्वान स्वभाव

         श्वान स्वभाव

बड़े बड़े बंगलो में रहनेवाले
घर के रखवाले ,
श्वान ,जब मालकिन की डोर से बंधे
थोड़े अनियंत्रित पर सधे
जब प्रातः निकलते है करने विचरण
तो जगह जगह रुकते है ,कुछ क्षण
सूँघते है,और करते है निरीक्षण
और अपनी पसंदीदा जगह पर,
कर देते है जल विसर्जन
अक्सर उन्हें ,स्थिर-प्रज्ञ बिजली के खम्बे,
जो मूक से खड़े ,
सबका पथ प्रकाशित करते है
या कार के वो टायर
जो होते है यायावर
और जो स्वयंचल कर,
पहुंचाया  करते है मंजिल पर ,
उन्हें बहुत पसंद आते है
जहाँ वे अपनी श्रद्धा के सुमन चढ़ाते है
आप यह सब देख ,अचंभित क्यों होते है,
चाहे बंगलों के हो या गलियों के,
प्राणी का  स्वभाव नहीं बदलता ,
कुत्ते तो कुत्ते ही होते है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'   

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