Wednesday, August 27, 2014

        बदला  हुआ माहौल

आजकल कुछ इस तरह,बदला हुआ माहौल है,
          बदतमीजी,बददिमागी,बदमिज़ाजी  आम है
प्रेम के बंधन में कोई,बंधता है ना बांधता ,
          हो गया है इस कदर ,खुदगर्ज हर इंसान है
सिखाया करते थे हमको पाठ अमन-ओ-चैन का,
       अदावत और झगडे ही बन गया उनका काम है      
था जो गुलशन ,गुलों से गुलजार हरदम महकता ,
                कांटे वाले केक्टस अब बने उसकी शान है 
ठंडी ठंडी हवाएँ जो सहलाती थी जिस्म को,
               आजकल झझकोरती  है ,बन गयी तूफ़ान है
इस तरह के हाल से हैं हम गुजरने लग गए,
              ये हमारी अपनी ही करतूत का  अंजाम है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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