Monday, June 15, 2015

क्या बेलेंस बनाता भगवन

        क्या बेलेंस बनाता भगवन

कैसा तू बेलेंस बना कर रखता भगवन
चिंताएं भी दे  देता, जिसको देता धन
परेशान ,बैचैन  हमेशा वो होता  है
निर्धन टांग पसार चैन से पर सोता है
कोई निपट गंवार,लक्ष्मी उस पर बरसे
कोई अति विद्वान मगर पैसों को तरसे
कोई अति बेडौल,प्रिया पर स्वर्ण सुंदरी
कोई सुगढ़,सुडौल,मिले बेमेल सहचरी
कोई की पत्नी नाटी  है तो पति  लम्बा
कोई संत ,फ़कीर,उसे मिल जाती रम्भा
कर देता है दोनों का 'एवरेज ' बराबर
कर 'एडजस्ट ',साथ रहते दोनों जीवनभर
अरे और तो और गढ़ी जब मानव काया
पंच तत्व का इतना सुन्दर मेल बिठाया
अगन तत्व को यदि भड़काता तत्व पवन है
तो जल तत्व ,तुरंत कर देता अग्नि शमन है
अग्नि लपटें ,यदि आकाश तत्व में उड़ती
बुझ जाती जब धरा तत्व की माटी पड़ती
एक दूसरे पर करते  है ,सभी नियंत्रण
कैसा तू बेलेंस बना कर रखता भगवन

घोटू

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