Wednesday, April 27, 2016

सुबह सुबह -ऑरेंज काउंटी

कुछ अलसाए से चेहरे
कुछ मुरझाए से  चेहरे
कुछ चेहरे थके थके से
कुछ चेहरे पके पके  से
कुछ फर्राटे सी भरती
कुछ हंसती,बातें करती
कुछ कुत्तों को टहलाती
मोबाइल पर बतियाती
कुछ योगा कुछ जिम जाती
कुछ दूध ब्रेड, हित  आती
कुछ बालों की लट ,बिखरी
कुछ मेकअप करके निखरी
कुछ चलती गाने सुनती
कुछ टहले  ,सपने बुनती
कुछ  स्कूल बेग उठाए
बच्चों संग  दौड़ी  जाए
स्कूल बस में बैठाने
रस्ते में दे कुछ खाने
प्रातः के कई नज़ारे
लगते है मन को प्यारे
फुर्ती है तन में भरती
सेहत भी सुधरा करती
कुछ सेहत के दीवाने
कुछ बूढ़े और सयाने
मिल कर है कसरत करते
और लगा ठहाका हँसते
और कभी बजाते  ताली
ओ सी की सुबह निराली

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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