Friday, May 27, 2016

   आदत बिगाड़ दी हमने

उनके चेहरे पे निगाह ,अपनी गाढ  दी हमने
हुस्न के उनकी और  ,रंगत  निखार दी हमने
उनके  गालों के गुलाबों  को  थोड़ा सहलाया ,
उनकी उलझी हुई ,जुल्फें संवार  दी  हमने
उनके बहके थे कदम,डगमगा के गिर न पड़ें ,
थामने  उनको  थी,बाहें  पसार दी हमने
उनकी हाँ में हाँ करी ,और ना में ना बोला ,
हम पे इल्जाम है,आदत बिगाड़ दी  हमने
हुस्न के उनकी जो ,तारीफ़ के दो  कहे ,
लोग कहते है कि  किस्मत सुधार दी हमने
देखते  देखते हर और खबर फ़ैल गयी ,
प्यार की दौड़ में तो बाजी मार ली हमने

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

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