Tuesday, July 26, 2016

बड़ा है काम मुश्किल का

चमन में फूल बन खिलना ,बड़ा है काम मुश्किल का 
कभी  मंडराते  है  भँवरे ,कभी  तितली  सताती  है
कभी मधुमख्खियां आकर  ,किया रसपान करती है ,
कभी  बैरन  हवाएं  आ,   सभी खुशबू  चुराती   है 
कभी आ तोड़ता माली, चुभाता  सुई सीने में ,
कभी बन कर के वरमाला ,बनाया करते रिश्ते हम
कभी गजरे में गूँथ कर के ,सजाते रूप गौरी का,
मिलन की सेज पर बिछ कर,मसलते और पिसते हम
कभी अत्तार भपके में,तपा ,रस चूस सब लेता ,
कभी मालाओं में लटके ,सजाते रूप महफ़िल का
कभी हम शव पे चढ़ते है,कभी केशव पे चढ़ते है ,
चमन के फूल बन खिलना ,बड़ा है काम मुश्किल का

मदनमोहन बाहेती'घोटू' 

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