Thursday, September 1, 2016

        कब आएगी ?

लेटे लेटे ,मैं तो करता यूं ही प्रतीक्षा,
किन्तु नींद को जब आना है ,तब आएगी

सूरज अस्त हो गया ,तारे नज़र आ रहे ,
धीरे धीरे पसर रही रजनी  काली है
कृष्णपक्ष का चाँद दे रहा है संदेसा ,
रात अमावस की जल्दी आनेवाली है
मौन और स्तब्ध ,दिशाएँ सब की सब है
गहन तिमिर है और सब तरफ सन्नाहट है
धक् धक् करती धड़कन के स्वर ऐसे लगते ,
जैसे कोई के  पदचापों की  आहट  है
मैं बेचैन बहुत हूँ,बाहुपाश में लेकर ,
कब वो मेरी आंखों में आ बस जायेगी
लेटे लेटे मैं तो करता यूं ही प्रतीक्षा ,
किन्तु नींद तो जब आना है तब आएगी

यूं ही मौन ,अकेला ,निश्चल पड़ा हुआ हूँ,
मन्द हवा के झोंकों सी आती है यादे 
जीवन भर के कितने ही  खट्टे मीठे पल ,
कुछ यौवन के प्यारे से वो पल उन्मादे
बार बार पलकें झपका कर कोशिश करता ,
भूल जाऊं,पर रह रह कर वो तड़फाते है
करवट लेता हूँ तो कुछ ऐसा लगता है ,
बिस्तर में कुछ कांटे है ,चुभ चुभ जाते है
कब वह ठगिनी ,चुपके से आकर ,सहलाकर ,
मेरी पलको को,मेरा मन बहलाएगी
लेटे लेटे ,मैं तो करता ,यूं ही प्रतीक्षा,
किन्तु नींद को जब आना है ,तब आएगी

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
 

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